कोर्ट कचहरी/मुकद्दमें: Court Cases
वर्तमान युग में हम बहुत व्यस्त हो गये हैं, जिससे आगे बढ़ने की होड़ में हम किसी भी बात की परवाह ही नहीं करते, जिससे कि हमारे सभी रिश्तें पीछे छूटते जा रहे हैं। धन के लिए हम इतने लालची भी हो रहे हैं, कि अपनों पर भी मुकद्दमा करने के लिए तैयार रहते हैं। कभी-कभी कोई धोखेबाज़ हमें परेशान करता हैं, जिससे हमें अपने हक के लिए लड़ना भी पड़ता हैं। कोर्ट/न्यायलय में जाने के लिए भला कौन खुश होगा, वहाँ जाने से हर कोई बचना चाहता हैं। जीवन में कितनी बार और कब कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने होंगे या चल रहे केस से कब छुटकारा मिल पाएगा। यह कुंड़ली के ग्रहों व दशा से पता लगता हैं। ज्योतिष सीखें!
लड़ाई-झगड़े - वैदिक ज्योतिष में शनि, मंगल का प्रभाव लग्न, तृतीय, चतुर्थ, सप्तम या द्वादश भाव में हो तो लड़ाई झगड़े की वजह से न्यायलय का चक्कर लगाना पड़ता हैं। तृतीयेश व द्वादशेश का सम्बंध हो तथा राहु की दृष्टि इस पर पड़ रही हो तो मारपीट और झगड़े के कारण कोर्ट कचहरी के चककर लगते हैं। Take Appointment
जमीन-जायदाद- 1. जन्मकुंड़ली में चतुर्थेश जब एकादश स्थान में हो तथा द्वादशेश चतुर्थ भाव में हो तो जातक को भूमि से संबधित मुकदमें के लिए कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता हैं। चौथा भाव जमीन व भूमि के लिए देखा जाता हैं और चतुर्थेश के एकादश भाव में बैठने का अर्थ वह अपने से अष्टम में हो जाता हैं। ज्योतिष पद्द्ति से कोई ग्रह अपने स्थान से 6 ,8 ,12 में हो तो अपने भाव का शुभ फल नहीं दे पाता।
2. चतुर्थेश और धनेश दोनो द्वादश भाव में शनि के प्रभाव में हो तो भूमि से संबधित मुकदमें होते हैं। शनि द्वादश भाव का स्वामी हो तो वह धन भाव और भूमि भाव स्वामी को प्रभावित करता। जिससे कोर्ट कचहरी का केस हो जाता हैं। Why Worried? Ask a question and get solutions!
3. तृतीयेश, लग्न या सप्तम भाव में शत्रु राशि में हो तथा चंद्रमा और चतुर्थेश एक साथ छठे भाव में होने से भाईयों के कारण भूमि विवाद होता हैं।
वैवाहिक विच्छेद/तलाक- 1. कुंड़ली में द्वादशेश या षष्ठेश की दशा चल रही हो एवं सप्तम/सप्तमेश, द्वादश/द्वादशेश के प्रभाव में हो तो वैवाहिक संबंधित मुकद्दमें होते हैं। 2. सप्तम स्थान में कोई वक्री ग्रह हो तथा सप्तमेश सूर्य के साथ द्वादश भाव में हो तो वैवाहिक से संबधित मुकदमें होते हैं। ऐसे जातक के दो विवाह भी विफल होने की संभावना होती हैं दोनों बार वैवाहिक झगड़े संबंधित प्रकिया से गुजरना पड़ता हैं। सप्तमेश का अष्टम भाव में नीच का होना विवाह सुख से भी वंचित रखता हैं।
पैतृक सम्पत्ति- कुंड़ली में राहु का प्रभाव सूर्य तथा चंद्रमा पर हो तथा दशमेश नीच का हो तो जातक को अपनी ही संतान के कारण कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ सकता हैं।
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